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  • Writer's pictureJaweria Afreen Hussaini

मैंने देखा है ।।


*मैंने .. हर रोज़ .. ज़माने को .. रंग बदलते देखा है ....* *उम्र के साथ .. ज़िंदगी को .. ढंग बदलते देखा है .. !!* *वो .. जो चलते थे .. तो शेर के चलने का .. होता था गुमान..* *उनको भी .. पाँव उठाने के लिए .. सहारे को तरसते देखा है !!* *जिनकी .. नज़रों की .. चमक देख .. सहम जाते थे लोग ..* *उन्ही .. नज़रों को .. बरसात .. की तरह ~~ रोते देखा है .. !!* *जिनके .. हाथों के .. ज़रा से .. इशारे से .. टूट जाते थे ..पत्थर ..* *उन्ही .. हाथों को .. पत्तों की तरह .. थर थर काँपते देखा है .. !!* *जिनकी आवाज़ से कभी .. बिजली के कड़कने का .. होता था भरम ..* *उनके .. होठों पर भी .. जबरन .. चुप्पी का ताला .. लगा देखा है .. !!* *ये जवानी .. ये ताक़त .. ये दौलत ~~ सब ख़ुदरत की .. इनायत है ..* *इनके .. रहते हुए भी .. इंसान को ~~ बेजान हुआ देखा है ... !!* *अपने .. आज पर .. इतना ना .. इतराना ~~ मेरे .. यारों ..* *वक़्त की रफ़्तार में .. अच्छे अच्छों को ~~ मजबूर हुआ देखा है .. !!!*


*कर सको......तो किसी को ख़ुश करो......दुःख देते ....हुए....तो हज़ारों को देखा है ।।।* 


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